गीत के प्रतिरोधी स्वर / सम्पादक रमाकान्त

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प्रतिरोधी गीत ऐसी क्रान्तिकारी गीत धारा है, जो सत्य और न्याय की वकालत करती है, शोषण विहीन समाज की संकल्पना को साकार करना चाहती है, वर्चस्ववादी सत्ता के ख़िलाफ़ है तथा जो संघर्ष से नहीं डरती। दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों की आवाज़ बनकर प्रतिरोधी गीत परिवर्तन के सच्चे कान्टेन्ट के साथ उपस्थित होना चाहते हैं। प्रतिरोधी गीत ‘आपकी राजनीति क्या है पार्टनर’ से दूर नहीं भागते वरन् अपना पक्ष प्रस्तुत करते हैं। प्रतिरोधी गीत समाजवाद और धर्म निरपेक्षता के हक़ में हैं और संविधान के समतावादी प्रारूप से सहमत हैं। गाँधी, अम्बेडकर, लोहिया और भगत सिंह का यह देश, आज कराह रहा है। देश की सम्पदा कुछेक उद्योग पतियों के हाथों में है। लोकतन्त्र ख़त्म करने की साज़िश रची जा रही है। चौथा स्तम्भ मीडिया भी सरकार का जयगान कर रहा है। ऐसे देशकाल में प्रतिरोधी गीतों और प्रतिरोधी गीतकारों की तलाश करना ज़रूरी है। प्रतिरोधी गीतकार हर कहीं अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े हों, हर कहीं उनकी दृष्टि जाय और हर कहीं उनके गीत कमज़ोर, शोषित और पीड़ित की आवाज़ बनें तभी वे सच्चे इन्सान, सच्चे साहित्यकार और सच्चे गीतकार होने का दावा कर सकते हैं। प्रतिरोधी गीतों को रचने वाला, प्रतिरोधी व्यक्तित्व वाला भी होना चाहिए, वरन् वह देर-सबेर सामंती नवगीतकारों का ‘झोला टांग’ बनकर रह जायेगा।
प्रतिरोधी गीतों का यह संकलन तैयार करते हुए यथासम्भव गीत और गीतकारों की ‘वैचारिक स्पष्टता’ को ध्यान में रखा गया है। कई कथित महान नवगीतकारों के गीत इस ‘वैचारिक स्पष्टता’ के दायरे में नहीं आ पाये, तो उन्हें ख़ारिज कर दिया गया। दो नावों में पैर रखे हुए ये कथित महान मुझे नहीं रूचे। प्रतिरोधी गीतों की एक बानगी भर है यह संकलन। प्रतिरोधी गीतों का स्वर बुलन्द रहे, इसी कामना के साथ ये कुछ स्वर गीत विधा को उर्वर बनाने की चाह रखते हैं।

Author

एडीटर : रमाकांत

Format

Paperback

ISBN

978-93-491363-1-1

Language

Hindi

Pages

216

Genre

गीत

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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