बिहार में ग़ज़ल लिखने वालों की भी लंबी क़तार है। बहुत ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। पत्र/पत्रिकाओं से लेकर मंचों पर भी इनकी ग़ज़लें खूब पढ़ी और सराही जाती हैं। बिहार की ग़ज़लों में आंतरिक आवेग के साथ परिवर्तन की छटपटाहट है। जनमानस की पीड़ा से लेकर आतंकवाद और बाजारवाद के विरुद्ध आवाजें हैं। बिहार के ग़ज़लकारों ने खामोशी की चादर से लिपटे लोगों को अपनी आवाज़ देते हुए उनके आंतरिक कोलाहल को प्रत्यक्ष करने का प्रयास किया है। ऐसे ही विशिष्ट ग़ज़लकारों के ग़ज़लों का संग्रह है ‘ग़ज़लें बिहार की’।
Author | Edi. Vikas |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-93-91081-11-9 |
Language | Hindi |
Pages | 212 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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