अपनी सशक्त लेखन क्षमता के द्वारा जिन दोहा साधकों ने आधुनिक दोहा को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है उनमें श्री रवि खण्डेलवाल जी का नाम विशेष आदर के साथ लिया जाता है। ‘गतिविधियों की रेल’ खण्डेलवाल जी द्वारा रचित प्रथम दोहा संग्रह है जिसमें कुल 540 दोहे संग्रहित हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी खण्डेलवाल जी दोहों को अनुभूतियों की रेशमी डोर में गूँथने का हुनर बखूबी जानते हैं। इनके दोहों में सहजता, मधुरता,स्पष्टवादिता तथा व्यंग्यात्मकता आदि गुण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। प्रस्तुत संग्रह में दोहाकार ने जीवन के विविध पहलुओं को अत्यंत सूक्ष्मता के साथ चित्रित करने में अद्भुत सफलता अर्जित की है। इसमें दोहाकार के सामाजिक, आध्यात्मिक,राजनैतिक तथा दार्शनिक चिंतन की अभिव्यक्ति अत्यंत सहज व स्वभाविक है।
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