‘एक तुम्हारा होना’ एक सौ आठ प्रेमपरक ग़ज़लों का संग्रह है। इस संग्रह की ग़ज़लें बेशक शृंगारपरक हैं, किन्तु इन्हें क़दीमी मिज़ाज से बचाने का हर सम्भव प्रयास किया गया है। प्रेम और शृंगार की जो परम्परा हमारे रहस्यवाद में मिलती है, उसकी झलक इस संग्रह में दिखाई देती है।
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