माहेश्वर तिवारी हिन्दी गीत के शिखरीय रचनाकारों में से एक हैं। हिन्दी गीत/नवगीत या यदि हिन्दी साहित्य भी कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी; से जुड़ा कोई भी गंभीर व्यक्ति इस नाम से अपरिचित नहीं होगा। मंच से लेकर गंभीर साहित्य और जीवनानुभवों के बीच माहेश्वर जी की पैठ उन्हें विशिष्ट बनाती है। माहेश्वर जी उन रचनाकारों में से एक हैं जो मंचीय काजल की कोठरी में रहकर भी धवल रह गये हैं।
नवगीत की सीमाओं में रहकर कविता के सौंदर्य को बचा लेने वाले माहेश्वर जी उन कवियों के लिए एक मिसाल की तरह है जो धारा में तैरने की बजाय पुल से नदी पार करने को कविता की अन्य विधाओं में सक्रिय हो गये।
Author | सं राहुल शिवाय |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-93-95432-49-8 |
Language | Hindi |
Pages | 120 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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