प्रियंका ओम हिंदी कहानी की दुनिया की सुपरिचित नाम है। कसी हुई समयोचित कहानियाँ लेखिका की पहचान है। अनुभव से अनुभूति तक की यात्रा कभी सम पर कभी ऊबर खाबर पथ पर सरपट चलती है। गाँव की कहानियाँ पढकर समझा जा सकता है कि मौलिक संवेदना से ओतप्रोत भाव संदर भाषा में परोसने में प्रियंका सिद्धहस्त है। जट्टा और चिरैया मानो रील की तरह गुजरती है सामने से।गहन प्रेम की पीड़ा को झटककर ही निजात पा सकते हैं। वह प्रथम हो या आखिरी। कहानियों का लोकेल तथा भाषा आधुनिक है। यह संग्रह पचमेल स्वाद देता है क्योंकि विषय में विस्तार है।
– पद्मश्री उषाकिरण खान
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