चंदा मामा कब आओगे (Chanda Mama Kab Aaoge / Kailash Bajpeyi)

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बच्चों की शिक्षा प्रणाली मनोरंजन के बिना बिल्कुल ही अधूरी है। याद करो बचपन के वे दिन जब हमारा कोई भी खेल या मौसम बिना कविताओं के आधा-अधूरा ही रहता था। बच्चों के लिए कुछ वर्षो पूर्व अपनाई गई शैक्षिक अवधारणा खेल-खेल में पढ़ाई (learn by fun) बचपन के इन्हीं सामूहिक खेलों में गाए जाने वाले पारंपरिक गीतों पर आधारित है। इनमें बच्चों के साथ-साथ जानवर भी सहभागी रहते हैं। कैलाश जी इधर काफी दिनों से बच्चों के लिए मनोरंजक कविताएँ लिखकर खेल-खेल में पढ़ाई की इसी अवधारणा को आगे बढ़ा रहे हैं। इनके पास भारतीय संस्कृति की लुप्त हो रही परंपराओं, रीति-रिवाजों और बोल-चाल के शब्दों की एक दुर्लभ सम्पदा है, जिसका वे अपनी बाल-कविताओं में भरपूर उपयोग करते हैं। यही उनकी पहचान है और उनकी ताकत भी। इस संग्रह की सभी बाल कविताएँ हमारे आस-पास के पारिवारिक परिवेश को प्रतिबिम्बित करती हैं। इनमें प्रकृति का सौंदर्य हैं, पर्यावरण संरक्षण की बातें हैं, परिवार का महत्व है, मौसम का मिजाज है, शिक्षा है, संदेश है, बच्चों के मनोरंजन के लिए जानवरों के फ़ुटबाल मैच के साथ-साथ देश भक्ति के पावन स्वर भी हैं। इन बाल-कविताओं की सरल भाषा और लयात्मकता बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी गुनगुनाने के लिए आकर्षित करेगी।

Author

Kailash Bajpeyi

Format

Paperback

ISBN

978-81-962317-0-5

Language

Hindi

Pages

44

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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