चल कबीरा लौट चल (Chal Kabeera Laut Chal / Jayprakash Shriwastava)

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‘चल कबीरा लौट चल’ जयप्रकाश श्रीवास्तव जी का नवीनतम नवगीत संग्रह है। हमारा समय विडंबनाओं और विद्रूपताओं का ऐसा असमाप्य जंगल है जिससे निकलने का रास्ता ढूँढ़ना ही हमारी सृजन यात्रा का उद्देश्य होना चाहिए। जंगल में भी जीवन होता है किन्तु जीवन में जंगल को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जंगल का अराजक और शक्ति संचालित अनिश्चय जीवन मानव जीवन का पर्याय नहीं हो सकता मानव स्वभावतः सांस्कृतिक है इसीलिए वह ‘जो है’ को बेहतर बनाने का अनवरत् अविछिन्न प्रयास करता है। साहित्य श्री एक सांस्कृतिक प्रत्यय है। और कहने की आवश्यकता नहीं है कि एक साहित्यिक विधा होने के नाते नवगीत के सृजन का केन्द्रक सांस्कृतिक ही होगा। मानव जीवन के वर्तमान को सतर्क दृष्टि से देखते हुए अपने अवलोकन निष्कर्षो को इस प्रकार व्यक्त करना कि उनमें भविष्य के प्रति सदिच्छा की कौंध हो। यह आश्वस्तकारी है कि जय प्रकाश श्रीवास्तव की काव्य-आस्थाएँ इसी प्रकार की सकारात्मक प्रतीतियाँ देती हैं।

Author

Jayprakash Shriwastava

Format

Paperback

ISBN

978-81-19231-50-8

Language

Hindi

Pages

128

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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