बूझो तो जानें (Boojho To Janen / Rekha Bharti Mishra)

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रेखा जी ने वयस्कों के लिए जहाँ भाव प्रवण कहानियाँ, कविताएँ, ग़ज़लें लिखी हैं, वहीं बच्चों के लिए मज़ेदार और संदेशमूलक बालसाहित्य की सर्जना की है। एक माँ, दीदी, बुआ के रूप में उन्होंने शिशुओं व बालकों के मनोविज्ञान की गहरी पड़ताल की है। यही वजह है कि बच्चों का साहित्य रचने में उनका मन सर्वाधिक रमता है। चूँकि बाल्यकाल से ही वर्ग पहेली, ज्ञान–विज्ञान पहेली आदि किस्म–किस्म की पहेलियों में उन्हें महारत हासिल है, अतः अपने अनुभव की थाती नई पौध को सौंपते हुए तीन सौ पहेलियों का यह अनूठा तोहफा ‘बूझो तो जानें’ शीर्षक से प्रस्तुत किया है।
रेखा जी को बखूबी पता है कि शिशुओं–बालकों की अभिरुचि तुकबंदी में सबसे अधिक होती है। फलत: उनकी पहेलियाँ चार–चार पंक्ति की पहेली कविता के रूप में है। यह पहेलियाँ अक्षर से शब्द–ज्ञान, भाषा–ज्ञान तो कराती हैं, बाल मन में संस्कृति व प्रकृति के संरक्षण का भाव भी खेल-खेल में ही भर देती हैं। घर–परिवार, परिवेश, पशु–पक्षी, पेड़–पौधे, नदी–पहाड़–झरने, ग्रह, उपग्रह आदि तमाम विषय इन पहेली कविताओं में समाहित हैं। मगर इन्हें अत्यंत सहजता–सरलता से यूँ प्रस्तुत किया गया है कि बच्चे पढ़ते ही आनंदित हो उठेंगे और मित्रों के साथ हल ढूँढने के क्रम में नई–नई जीवनोपयोगी बातें भी सीख सकेंगे। पहेलियाँ इतनी सरस हैं कि तुरंत कंठस्थ हो जाएँगी और मित्रों के बीच इन्हें बुझाकर रौब ग़ालिब
कर सकेंगे।

-भगवती प्रसाद द्विवेदी

Author

Rekha Bharti Mishra

Format

Paperback

ISBN

978-81-19590-73-5

Language

Hindi

Pages

110

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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