डॉ. सतीश चन्द्र भगत द्वारा अनुवादित
बज्जिका भारत एवं नेपाल में बोली जाने वाली इंडो-आर्यन भाषा है। कुछ विद्वान इसे मैथिली की ही एक बोली मानते हैं, जबकि कुछ अन्य विद्वान इसका स्वतंत्र अस्तित्व स्वीकारते हैं। भारतवर्ष में बिहार के तिरहुत प्रमण्डल के शिवहर, सीतामढ़ी, मुज़फ़्फ़रपुर तथा वैशाली जिलों तथा दरभंगा और समस्तीपुर जिलों में बज्जिका बोली जाती है, जबकि नेपाल में रौतहर और सर्लाही जिलों एवं आस-पास के तराई इलाक़ों में बज्जिका बोली जाती है। इस भाषा के स्वतंत्र अस्तित्व की ओर संकेत करने वाले विद्वानों में राहुल सांकृत्यायन प्रमुख रहे हैं। विभिन्न विद्वानों एवं साहित्यकारों द्वारा बज्जिका भाषा में अनेक कृतियों की रचना की गयी है।
इस पुस्तक का मूल उद्देश्य बज्जिका भाषा के रचनाकारों की बाल कहानियों को हिन्दी बाल पाठकों के लिए उपलब्ध कराना है, ताकि वे इनसे लाभान्वित हो सकें।
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