‘अब यार न वैसा इश्क़ रहा’ कवि की प्रथम साहित्यिक कृति है। कवि कहते हैं- पल दर पल, कूचा दर कूचा, शख्श दर शख्श जीवन की इस यात्रा में नियति ने जितनी भी वक्रताएँ मेरी ओर उछालीं, उन सभी को मैंने पूरी श्रद्धा से शिरोधार्य किया। ये कहना झूठ होगा कि शिकायत नहीं की, लेकिन खुद को आराम पहुंचाने की जल्दबाज़ी नहीं की। रज-रज के पीड़ा के हर उत्सव को मनाया और उसके प्रतिफल के रूप में ही इन गीतों का जन्म हुआ।
‘Ab Yaar Na Waisa Ishq Raha’ kavi ki pratham saahityik kRiti hai. Kavi kahate hain- pal dar pal, koocha dar koochaa, shakhsh dar shakhsh jeevan ki is yaatra men niyati ne jitani bhi vakrataaen meri or uchhaaleen, un sabhi ko mainne poori shraddha se shirodhaary kiyaa. Ye kahana jhooTh hoga ki shikaayat naheen kee, lekin khud ko aaraam pahunchaane ki jaldabaazi naheen kee. Raj-raj ke peeda ke har utsav ko manaaya aur usake pratifal ke roop men hi in geeton ka janm huaa.
रोहित –
गीतों के आधार पर हरिओम द्विवेदी जी को विरह का सुल्तान कहा जा सकता है।
Rohit –
गीतों की उम्दा किताब