आएँगी फिर से बहारें (Aayengi Fir Se Baharein / Nawab Kesar)

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‘आएँगी फिर से बहारें’, नवाब केशर का प्रथम गीत-संग्रह है जिसमें प्रकृति-प्रेम, शृंगार, मानवीय प्रेम और देशप्रेम की बहुरंगी छटा अपने पूरे उत्कर्ष पर प्रतीत होती है। इन गीतों में अपनी माटी की सोंधी महक से सुवासित लोकशैली के गीत मन को अपने अनूठे आनंद से सराबोर कर देते हैं।
इस गीत में वरिष्ठ गीतकार शिशुपाल सिंह ‘निर्धन’ के गीतों की अनुगूँज सुनाई पड़ती है तो कई गीतों में सोमठाकुर और कुँअर बेचैन की भावभूमि का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। यह सृजन की सहज प्रवृत्ति है।
उनके गीतों में एक ओर ब्रजभाषा का माधुर्य है तो दूसरी ओर खड़ी बोली का सहज लालित्य भी विद्यमान है। कभी-कभी ऐसा अनुभव होता है कि वे अनेक गीतों में एक ही भाव की बारम्बार आवृत्ति करते हैं किन्तु गहराई से देखने पर अहसास होता है कि प्रस्तुतीकरण के अनूठे अंदाज़ से वे इस दोष से मुक्त भी हो जाते हैं।

इन गीतों में सहजता है, ओज है, माधुर्य है तथा हृदयस्पर्शी अनूठापन है। वे नए प्रयोगों के चक्कर में गीतों को बोझिल नहीं बनाते बल्कि उनका सहज रखरखाव और रचाव अंत तक कायम रहता है, यही उनकी सफलता व सार्थकता है।

किशोर कुमार कौशल
23 मार्च, 2023

Author

Nawab Keasr

ISBN

978-93-95432-95-5

Format

Hardcover

Language

Hindi

Pages

120

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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