आस का सूरज (Aas Ka Sooraj / Raghuvindra Yadav)

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हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार से अलंकृत, साहित्य एवं शोध की राष्ट्रीय पत्रिका ‘बाबूजी का भारतमित्र’ के संपादक रघुविंद्र यादव की यूंँ तो दोहाकार व कुंडलियाकार के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान रही है, किंतु पिछले कुछ अरसे से वे ग़ज़ल विधा में भी हाथ आजमा रहे हैं। इसी साधना का प्रतिफल है उनका पहला ग़ज़ल संग्रह ‘आस का सूरज’ जिसका सार है- विधा नयी, तेवर वही…!
उनके चर्चित दोहों तथा इन ग़ज़लों में एक समानता तल्ख़ तेवरों की है। यही कारण है कि इन तेवरीनुमा ग़ज़लों के कहन का अंदाज़ दोहों जैसा मारक बन पड़ा है। सत्ता, व्यवस्था तथा विसंगतियों के खिलाफ प्रतीकों के माध्यम से ग़ज़लकार अपनी बात कहने में सफल रहा है।

Author

रघुविन्द्र यादव

Format

Paperback

ISBN

978-93-95432-59-7

Language

Hindi

Pages

104

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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