आरज़ू बस यही’ समाज की मंगल भावना को लेकर लिखी गई फुटकर कविताओं का संग्रह है। पूरी तरह से बोलचाल की भाषा में, उर्दू मिश्रित हिंदी में, लिखी गई कविताएँ मन को मोह लेती हैं। रिश्ते, परिवार, राजनीति, धर्म, बहुआयामी जीवन के संघर्ष, जो भीड़ भाड़ में अलग अलग अक्स में बदलकर रूप बदल लेता है, उसके वर्णन से ऐसा लगता है मानों ‘रेशमा’ ने सबको बाँध लिया हो।
‘रेशमा’ का सकारात्मक, आशावादी दृष्टिकोण, पूरे संग्रह की कविताओं का प्राण है। समाज के भीतर व्याप्त निराशा व विसंगतियों के बीच भी, आशा की किरण ढूँढ़ने में रेशमा सफ़ल हुई है। ‘आरज़ू बस यही’ एक आशावाद दृष्टि व सोच का काव्य संग्रह है।
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