प्रस्तुत नाट्य-संग्रह ‘दिल्ली दूर नहीं’ में दो नाटक ‘पथ प्रदर्शक’ और ‘दिल्ली दूर नहीं’ तथा एक एकांकी ‘गवाही’ है। जैसा कि हम जानते हैं हर युग की अपनी एक माँग होती है। मिथक हमेशा रहते हैं। पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं में वर्तमान के संदेश छुपे रहते हैं। उनमें नवीन दृष्टि रहती है। इसलिए वे अतीत में रह कर भी वर्तमान के लिए आवश्यक होते हैं। राजेन्द्र जी इस बात को बखूबी समझने वाले रचनाकार हैं। उनके नाटक न सिर्फ इन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं साथ ही समाज को नयी दिशा प्रदान करने वाले हैं।
Reviews
There are no reviews yet.