काव्य भारती ( Kavya Bharti / Sujata Mishra )

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चित्रकला में पारंगत सुजाता जी की कविताएँ चित्रात्मक प्रतीत होती हैं। ‘काव्य भारती’ की विविधवर्णी कविताओं में जीवन की इन्द्रधनुषी छटाएँ देखते ही बनती हैं। इनमें सपनों की लड़ियाँ हैं, संघर्ष की अंतहीन दास्तान है, आस-विश्वास की प्रस्फुटित किरणों की कलिकाएँ हैं, तो सामाजिक विसंगतियों-विद्रूपताओं के साथ जिजीविषा के स्वर भी हैं।
यह अंतस् के भी चित्र उकेरती हैं और बाजारवादी मायावी संसार के भी। उनकी कविताओं के चटख रंग हैं-मिथिला पेंटिंग की तरह ही। कभी वह राष्ट्रीयता के रंग में रँगी नजर आती हैं, तो कभी प्रकृति के बहुआयामी कुदरती रंगों में।
-भगवती प्रसाद द्विवेदी

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