हर छन्द में हो गीतिका ( Har Chhand Me Ho Gitika / Baba Baidyanath Jha )

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‘हर छन्द में हो गीतिका’ बाबा बैद्यनाथ झा के अनेक छन्दों पर आधारित अनमोल गीतिकाओं का संग्रह है। प्रस्तुत गीतिकाओं में पारिजात, वाचिक स्रग्विणी, गीतिका, आनंदवर्धक, विजात, हरिगीतिका, वाचिक भुजंगप्रयात, दिग्पाल, वाचिक द्विभक्ती, शक्ति, वाचिक महालक्ष्मी, वातारासरालगा, माधवमालती, मनोरम, सार्ध मनोरम, रजनी, वाचिक चामर, सुमेरु, वाचिक विध्वन्कमाला, रतिरूप, वाराजरानी, वाचिक बाला, विधाता, वाराभामागा आदि मापनीयुक्त मात्रिक छन्दों, लावणी, चौबोला, उल्लाला, सार, द्विचौपाई, पदपादाकुलक आदि मापनीमुक्त मात्रिक छन्दों तथा अनंद, राधा आदि मापनीयुक्त वर्णिक छन्दों को आधार बना कर नाद-सौन्दर्य उत्पन्न करने का अप्रतिम उपक्रम किया है। एक सौ गीतिकाओं के इस संग्रह में छन्दों के सटीक अनुप्रयोग के साथ सार्थक कथ्य का प्रभावशाली सम्प्रेषण आद्यंत दिखाई देता है।

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