कुण्डलिया छंद के कीर्तिपुरुष त्रिलोक सिंह ठकुरेला ने कुण्डलिया छंद की पुनर्स्थापना, विस्तार और अभ्युदय के लिए अद्वितीय कार्य किया है। समकालीन साहित्यकारों के मध्य कुण्डलिया छंद की अलख जगाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए उन्होंने कुण्डलिया छंद के अनेक संकलनों का सम्पादन किया है। त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुण्डलिया अनेक पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित की गयी हैं। समकालीन कुण्डलिया शतक इसी शृंखला की नवीनतम कड़ी है। सौ कुण्डलियाकारों की रचनाओं का यह संकलन कुण्डलिया छंद के विस्तार और विकास के नये मार्ग प्रशस्त करने का एक सार्थक प्रयास है।
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