अनिरुद्ध प्रसाद विमल का प्रगीत प्रबंध काव्य ‘कागा की संदेश उचारै’ ( Kaga Ki Sandesh Uchaare / Kumari Sambhawna )

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‘कागा की संदेश उचारै’ संपूर्णतः करुण वियोग से आप्लावित है। इनकी नायिका साँवरी भारतीय परिवेश की एक ऐसी मर्यादा में बंधी युवती है जिसने प्रेम का रस चखा तो है लेकिन आकंठ डूबने के पूर्व ही विछोह का दुख सहना पड़ा है और यह विछोह जीवन के अंत तक बना रहता है। यही कारण है कि सांवरी का विरह भारतीय काव्य में चित्रित अन्य सभी नायिकाओं से भिन्न है। 1988 में प्रकाशित इस कृति के मूल पाठ के साथ आलोचनात्मक आलेखों को प्रस्तुत करता यह ग्रन्थ भविष्य के लिए अमूल्य निधि है।

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