(प्री बुकिंग) दृश्यांतर (Drishyantar / Dr. Ajit)

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एक ऐसी किताब जो आपको दृश्यों की यात्रा कराती है। एक दृश्य से किसी दूसरे दृश्य में पहुँचने का रास्ता भी एक दृश्य ही है, यह दिखा पाती है। इसमें कोई एक कहानी या कथानक नहीं है और न ही दृश्यों को रचने की निर्मिति में कोई आशावाद या कोई तय आदर्श लगाया गया है, किसी सुख या दु:ख को बिंदु बना उसके आसपास को दृश्य की संरचना नहीं बनाया गया है। दृश्यों के सहारे सहारे दृष्टा का अवलोकन कराती इस किताब में मनुष्य का मन प्रेम, मनोविज्ञान, दर्शन, जीवन, अस्तित्व का चिंतन के बीच एक बारीक से बुनावट है, जिससे यह हमारे देखने के तरीक़े की बड़ी सरलता से एक पड़ताल करती है। हमारी सोच और समझ हमें दिख रहे पर लागू रहती है, हमारे चित्त का अपना कोई रूप नहीं बनता सिवाय इसके कि हमने क्या और किस तरह देखा। इसे पढ़ते हुए दृश्यों की एक ऐसी यात्रा का अनुभव है जिसमें कल्पना और यथार्थ दोनों के गुण हैं, जिससे हमारे अस्तित्व चेतना, मनोविज्ञान और जीवन में मन के हाशिए पर अलग-थलग पड़े हुए अनुत्तरित प्रश्नों के जवाब तलाशने की कोशिश करती है।

Author

डॉ. अजित

Format

Paperback

ISBN

978-81-984070-7-8

Language

Hindi

Pages

104

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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