‘शब्द ही तो हैं’ रवि खण्डेलवाल जी की समकालीन कविताओं का दूसरा संग्रह है। समय सापेक्ष अपने उद्गारों को कविता के माध्यम से अभिव्यक्त करते हुए वे कभी प्रथ-प्रदर्शक होते हैं तो कभी पाथेय। प्रतिरोध से समाधन की चाह तक उनका स्वर बिल्कुल स्पष्ट है। वे मानते हैं- “समकालीन कविता जहाँ सत्ता के हिडन मंसूबों को बेनकाब करने का एक ज़रिया है तो वहीं, व्यवस्था द्वारा प्रदत्त ज़ख़्मों का आर्तनाद है तो व्यवस्था के प्रति
प्रतिरोध का शंखनाद भी।”
Author | Ravi Khandelwal |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-970378-0-1 |
Language | Hindi |
Pages | 144 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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