हरिगोविंद सिंह गौतम की कहानियाँ वर्तमान से अतीत और अतीत से वर्तमान से भविष्य तक की जिस तरह आवाजाही कर लेती हैं वह उनके भीतर मौजूद कथा-कौशल का ही प्रमाण है। यह आवाजाही सभी कहानियों में मिलती है।
रिश्तों की बुनावट और उनमें गुंथे पात्रों के चरित्र-चित्रण में कथाकार का मन खूब रमा है। एक लेखक के रूप में वह परिवार से बाहर निकलकर भी परिवार के साथ ही रहता और जीता है। परिवार उसकी कहानियों की पृष्ठभूमि भी है और उसका कथा-केंद्र व कथा सूत्र भी। परिवार के बिना उसकी कहानियों की कल्पना नहीं की जा सकती। परिवार में और परिवार के लिए इन कहानियों की टैगलाइन भी हो सकती है। इस दृष्टि से देखें तो संग्रह को परिवार और रिश्तों की कहानियों के संकलन के रूप में भी देखा जा सकता है।
Author | Hargovind Singh 'Gautam' |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-19231-32-4 |
Language | Hindi |
Pages | 146 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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