लिक्खेगी इतिहास चिरैया (Likkhegi Itihas Chiraiya / Neeraja Vishnu ‘Neeru’)

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नीरजा विष्णु ‘नीरू’ जी की प्रथम काव्य कृति- ‘लिक्खेगी इतिहास चिरैया’ मात्र अनुभव-अर्जित मनोभाव ही नहीं बल्कि जन-मन के दर्द का एक सजीव दस्तावेज है। जिसे पढ़कर सुकून सुख व सीख प्राप्त होती है। निजी जीवन के अनुभवों के साथ-साथ नीरजा जी ने समाज में माँ, माटी, पिता, सैनिक, नदी, देश, गाँव इत्यादि के महत्व एवं उपकारों को अपने शब्द शिल्प से संजोया है।
नीरजा जी की कविताएँ कलम को कभी न रुकने की सौगंध देती है और उसके कर्तव्यों का बोध व बखान करती है। देश में गरीब असहाय की पीड़ा को गाने का बीड़ा अंततः कलमकार को ही उठाना पड़ता है, यही उसका सर्वप्रथम नैतिक धर्म है।
इनकी कविताएँ समाज में व्याप्त सर्वत्र अँधियारे की चिंता करती हुई, प्रतीत होती हैं और उसे नष्ट करने की हमें प्रेरणा देती हैं। दीन दुखी माँ-बाप की आस दो बेटियों की नृशंस हत्या के दृश्य कविता में अत्यंत प्रभावी ढंग से सजीव हुए हैं। साथ ही इस कविता संग्रह में विधवा माँ की पीड़ा तथा स्वर्गवासी पिता की पुकार तथा रोटी रोजगार की तलाश में विदेश गये बेटे की चिंता में बैठे माँ-बाप के बिगड़े बुढ़ापे को अत्यंत मार्मिक शब्द शिल्प व शैली से प्रस्तुत किया गया है।

– विनोद शर्मा ‘सागर’

Format

Hardcover

ISBN

978-81-19590-10-0

Language

Hindi

Pages

116

Publisher

Shwetwarna Prakashan

Author

Neeraja Vishnu 'Neeru'

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