हम अपनी दैनंदिनी में ऐसी तमाम बातों को तवज्जो नहीं देते, या देना नहीं चाहते। ये बातें छोटी होती हैं, बहुत छोटी, शायद तिलभर। लेकिन यही छोटी बातें मन को ठेस पहुंचा जाती हैं। ये कविताएँ नहीं, वही तिलभर जितनी छोटी-छोटी बातें हैं जिन्हें मेरे परिजन लोक द्वारा या तो टाल दिया गया, या फिर महसूस करना ज़रूरी नहीं समझा गया। संबंधों को दिशाशील या दिशाहीन करने में ऐसी छोटी-छोटी बातों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ‘तीन-चार पंक्तियाँ’ इन्हीं छोटी-छोटी एहसासों, भावों का शब्दों के रूप में संकलन है…
Pages | 108 |
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Author | Sarvesh Kumar Mishra |
Format | Paperback |
ISBN | 978-81-19231-17-1 |
Language | Hindi |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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