सन् 1947 से अब तक भारतीय सेना के जाँबाजों ने 5 युद्धों, संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना अभियान, एवं अन्य अभियानों में अपनी वीरता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और अपना बलिदान देकर भी लक्ष्य प्राप्त किया है। इन वीरों को भारत सरकार द्वारा वीरता पुरस्कार भी प्रदान किये जाते रहे हैं। अब तक 21 सैनिकों को ‘परमवीर चक्र’ एवं 219 सैनिकों को ‘महावीर चक्र’ से समादृत किया जा चुका है।
‘महावीर चक्र’ भारत का द्वितीय सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है, जो युद्धकाल के दौरान विशिष्ट कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए भारतीय सेना के सैनिकों/असैनिक कर्मियों को दिया जाता है। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। भारत में वीरता पुरस्कार दिये जाने का प्राविधान 26 जनवरी सन् 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही किया गया था, जो सन् 1947 से ही देय है।
प्रस्तुत कृति ‘महावीर सीमा-प्रहरी’ में भारतीय सैन्य इतिहास के 219 ‘महावीर चक्र’ प्राप्त वीरों में से कुल 74 (जो रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुये) सैनिकों की अप्रतिम वीरता, अदम्य साहस, कुशल नेतृत्व एवं सैन्य परम्परानुसार सर्वोच्च बलिदान करने की शौर्यगाथा का संक्षिप्त वर्णन है। इस कृति के प्रणयन का मेरा उद्देश्य देश के बलिदानी सैनिकों के बारे में परिचय कराना है, ताकि देश की वर्तमान नवपीढ़ी इनके बलिदानों के बारे में जान सके तथा स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर सके। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इन वीर बलिदानियों की शौर्यगाथा निश्चित रूप से वर्तमान एवं भावी पीढ़ी का मार्ग-दर्शन करने में सक्षम सिद्ध होगी।
Author | Dr. Shivmangal Singh 'Mangal' |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-81-19231-31-7 |
Language | Hindi |
Pages | 164 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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