स्त्री का विस्तार समाज का विस्तार है। एक स्त्री के विकास के जितने अधिक मौके मिलते हैं; प्रकाश के उतने अधिक झरोखे विमोचित होते हैं।
‘आधी आबादी की ग़ज़लें’ इन्हीं झरोखों को विमोचित करने का एक छोटा-सा प्रयास है।
Author | सम्पादक डॉ. विनय कुमार शुक्ल /आरती देवी |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-93-95432-42-9 |
Language | Hindi |
Pages | 264 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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