हिंदी गद्य परम्परा को परत दर परत उजागर करने वाली यह पुस्तक यथार्थ की भूमि पर हिंदी गद्य साहित्य का स्पष्ट चित्र उकेरती है। यह छात्रों व शोधार्थियों के लिये ही नहीं बल्कि हर साहित्यप्रेमी पाठक के लिये रुचिकर है। यह पुस्तक हमें हिन्दी गद्य के इतिहास परंपरा से अवगत कराने के साथ ही सार्थक परिवर्तन हेतु दिशा निर्देशित भी करती है।
Hindi Gadya parampara ko parat dar parat ujaagar karane vaali yah pustak yathaarth ki bhoomi par hindi gady saahity ka spaST chitr ukerati hai. Yah chhaatron v shodhaarthiyon ke liye hi naheen balki har saahityapremi paaThak ke liye ruchikar hai. Yah pustak hamen hindi gady ke itihaas paranpara se avagat karaane ke saath hi saarthak parivartan hetu disha nirdeshit bhi karati hai.
मंगलमूर्त्ति –
श्वेतवर्णा प्रकाशन (नई दिल्ली) हिंदी में एक नया प्रकाशन उपक्रम है |, जिसने हिंदी-प्रकाशन जगत में बहुत-सी नई पुस्तकों के साथ पदार्पण किया है | हिंदी को विश्व-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए ऐसे प्रयासों का अभिनन्दन होना चाहिए | इस प्रकाशन से आ. शिवपूजन सहाय की दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं – ‘मेरा बचपन(तेवं सम्पूर्ण बाल-साहित्य) तथा ‘हिंदी की गद्य-परंपरा’| आशा है हिंदी-जगत में इन पुस्तकों और इनके नए प्रकाशक का भी स्वागत होगा |