जेलों के अंदर ठिठके पल बाहर नहीं आते
बाहर की रौशनी अंदर नहीं जाती
मुझे एक पुल बनाना है
यह मेरी ज़िद है
वर्तिका नन्दा की इसी ज़िद के साथ आई है – तिनका तिनका मध्य प्रदेश। 12 पुरुषों और 2 महिला बंदियों, 4 बच्चों और एक प्रहरी – इन्हीं कथावाचकों के साथ बनाई गई यह दुनिया की किसी भी जेल की अपनी तरह की पहली मिनी कॉफी टेबल बुक है। 19 कथावाचकों के साथ मिल कर रचे गए इस इंद्रधनुष में बंदियों की ही बनाई तस्वीरों के जरिए जेल की कहानी को पिरोया गया है। इस किताब का हिस्सा बने चार बच्चों में से तीन का जन्म जेल में ही हुआ है। आज जेल के इन चारों बच्चों के पास अपनी एक पहचान है। उनकी जिंदगी का इकलौता पता अब जेल नहीं होगा। तिनका तिनका उनका पता बन गया है।
डॉ. वर्तिका नन्दा देश की स्थापित जेल सुधारक और लेखिका हैं। तिनका तिनका भारतीय जेलों पर वर्तिका का एक अनूठा अभियान है। इसके तहत वे देश की अलग-अलग जेलों को मीडिया, साहित्य और सृजन से जोड़ कर नए प्रयोग कर रही हैं।
विशेष सम्मान: भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से 2014 में स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित। उन्हें यह पुरस्कार मीडिया और साहित्य के जरिए महिला अपराधों के प्रति जागरूकता लाने के लिए दिया गया है। 2007 में भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से प्रकाशित किताब- टेलीविजन और अपराध पत्रकारिता को भारतेंदु हरिश्चंद्र अवॉर्ड। दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल।
जेलों पर विशेष: देश की जेलों में रेडियो लाने में महत्वपूर्ण काम। 2019 में देश की सबसे पुरानी जेल इमारत आगरा की जिला जेल में रेडियो स्थापित किया। 2021 में हरियाणा की जेलों में रेडियो लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमबी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने जेलों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति की आकलन प्रक्रिया में शामिल किया। देश की तीन जेलों के लिए परिचय गान लिखे जिन्हें जेल के ही बंदियों ने गाया। 2020 में आईसीएसएसआर की इंप्रैस स्कीम, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए भारतीय जेलों में संचार एक शोध पूरा किया जिसे उत्कृष्ट मानते हुए प्रकाशन के लिए प्रस्तावित किया गया है।
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