डॉ. भावना की प्रतिनिधि ग़ज़लें ( Dr. Bhawna ki Pratinidhi Gazale/Vinay Kumar Shukl )

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भावना जी की ग़ज़लों में उनका तपाकपन, भावों की सरलता तथा भाषा की कशिश को हम देख सकते हैं। भावना जी अपने समय की कोटेबल शायरा हैं। इनकी भाषा में जहाँ एक तरफ़ हिन्दी का कथ्य विस्तार है, तो वहीं दूसरी तरफ उर्दू का मिज़ाज तथा कहन है। मगर कहीं भी उर्दू का दबाव नहीं है। नारी जीवन की विसंगतियाँ, समाज की पीड़ादायक सच्चाई, बेरोज़गारी तथा रोज़मर्रा की मुश्किलें इनकी ग़ज़लों के अंग हैं। इनकी ग़ज़लों को आद्योपांत पढ़कर साफ़ पता चलता है कि इन्हें ग़ज़ल के व्याकरण का सम्यक् ज्ञान है। इनकी भाषा में एक सादगी है। इतनी सहज और सरल भाषा में इतने शानदार अशआर कह पाना भावना जी के ही बूते की बात है। ये किसी तरह का भाषाई चमत्कार करने की कोशिश नहीं करतीं। इनका परिवेश ही इनके ग़ज़लों की जननी है। इस बेहतरीन पुस्तक के लिए भावना जी को अशेष शुभकामनाएँ। उम्मीद है, इस पुस्तक को पाठकों का प्यार मिलेगा।

Author

सं. विनय कुमार शुक्ल

Format

Paperback

ISBN

978-81-19231-87-4

Language

Hindi

Pages

116

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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