चंदा शुरू से ही बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। आकर्षण भी ऐसा-वैसा नहीं, बल्कि जबर्दस्त आकर्षण। यही कारण है कि वह बच्चों का मामा हैं, जिसे देखते ही उसके सामने बच्चों का शिकायतों का पिटारा खुलना शुरू हो जाता है।
जबसे चन्द्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण हुआ है, उसके रिश्तों में और मजबूती आई है। पूरा देश इस अजूबे को टकटकी लगाए देख रहा है।
फिर बच्चे इससे कैसे अछूते रहते, उनकी ढेर सारी जिज्ञासाओं को ध्यान में रखकर वरिष्ठ बालसाहित्यकार रमेश प्रसून ने चन्दामामा को तो ‘टूर’ पर ही भेज दिया है। वे जब तक ‘टूर’ पर रहेंगे, धरती पर नए-नए संदेश भेजते रहेंगे, जिसमें ढेर सारी जिज्ञासाओं का समाधान होगा तो नई-नई जानकारियाँ भी मिलेंगी।
चार-चार पंक्तियों में पूरी पुस्तक का विन्यास फैला हुआ है। साथ ही कम प्रयोग में होने वाले और कठिन शब्दों के अर्थ देकर रचनाकार ने बच्चों के लिए पूरे संग्रह को आसान और रोचक बना दिया है।
Pages | 112 |
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Author | रमेश प्रसून |
Format | Paperback |
ISBN | 978-81-19590-36-0 |
Language | Hindi |
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