राकेश जी की यायावरी में धार्मिक-आध्यात्मिक यात्राएँ तो शामिल हैं ही, निजी और सामाजिक-सरोकारों से जुड़ी यात्राएँ भी शामिल हैं। उनकी यायावरी की खासियत यह है कि उसमें विवरण कम से कम हैं और जहाँ विवरण हैं वे जरूरत बनकर आये हैं, जो यायावरी के आवश्यक अंग की तरह हैं। यह भी कि उसे प्रायः उन्होंने सर्जनात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। इन वृत्तांतों में भाषा का ऐसा सहज रूप और तरल प्रवाह है कि कम पढ़ा-लिखा भी उसे चाव से पढ़ सकता है। संप्रेषण में कहीं कोई अवरोध नहीं। एक-एक शब्द छन-छन कर प्रस्तुत हुए हैं। यही कारण है कि लेखक के साथ-साथ पाठक भी स्थल-विशेष की विशेषाताओं, वहाँ की संस्कृति और इतिहास से परिचित होता चलता है। जहाँ तक मैं समझता हूँ राकेश जी की यह ‘यायावरी’ उस थेरेपी की तरह है जिससे उनकी यायावरी को सदैव ऊर्जा और एक यात्रा के बाद दूसरी यात्रा की प्रेरणा मिलती रही है। अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों के डोर से बंधे उनके वृत्तांत अपने आप में अद्वितीय और बेमिसाल हैं, इसमें संदेह नहीं।
Author | Rakesh Raman |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-969433-3-2 |
Language | Hindi |
Pages | 120 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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