श्री बृजनाथ जी के नवगीतों में युग-सत्य सर्वत्र व्याप्त है और उसका रूपायन शिवत्व के लिए हुआ है जिसमें काव्य-सौंदर्य के साथ व्यंजनाशील भावाभिव्यक्ति का धरातल है। अत: सत्यं शिवं सुंदरम् के संगम के रूप में उनके नवगीत मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयत्नशील हैं। उनके नवगीत मानवीय सम्वेदना के वाहक और समाज की पीड़ाओं के गायक हैं। श्री बृजनाथ जी के नवगीतों की यात्रा से स्पष्ट प्रतीत होता है कि उनके नवगीतों की निर्मिति भारतीय संस्कृति की अक्षुण्ण परम्परा की सुदृढ़ नींव पर हुई है जिसका मूल मंत्र मानवीय सम्वेदना है। उनके नवगीत विसंगति, विघटन, विडम्बना आदि की अमानवीय विकृतियों को मानव-मूल्यों से तोड़ने हेतु प्रतिश्रुत दिखायी पड़ते हैं। श्री बृजनाथ जी के नवगीतों में मौलिकता के साथ ही मौलिक चिंतन भी उन्हें महत्त्वपूर्ण बनाता है।
Author | Brijnath Shrivastava |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-81-19231-24-9 |
Language | Hindi |
Pages | 136 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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