वाह तेनाली! (Wah Tenali / Usha Chhabra)

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इस दुनिया में हजारों जीव हैं। अल्पायु से लेकर दीर्घायु जीवन जीने वाले भी हैं। लेकिन सभी जीवों में आदमी सबसे अलग है। हर आदमी के पास सैकड़ों कहानियाँ हैं। यह कहानियाँ जब से छपने लगी हैं तभी से यह सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। उषा छाबड़ा स्वयं कहानियाँ पढ़ती हैं। सुनती हैं। सुनाती हैं। यह सुनने-सुनाने की परंपरा शानदार है। सुनने-पढ़ने और सुनाने वाले श्रोता हो या पाठक। पढ़ते-पढ़ते उन्हें लगता है कि कई कहानियाँ उनके आस-पास की कहानियाँ हैं। आस-पास से याद आया कि भारत में वाचाल, बुद्धिमान, हाजिर-जवाब और कुशाग्र किरदार कहानियों में इस तरह पिरोए हुए हैं कि वह ऐतिहासिक भी लगने लगते हैं। कुछ हैं भी। तेनालीराम के किस्से भी कुछ ऐसे ही हैं। प्रस्तुत नौ किस्से भी बड़े मज़ेदार हैं। इन्हें पढ़ते हुए पाठक अपने आस-पास के परिवेश को याद करने लगेगा। यह भी कि वह बहुत प्राचीन काल के कल्पना लोक में जा सकता है। राजा-रजवाड़ों को महसूस करने लगा। कुल मिलाकर इन नौ किस्सों में अन्त तक पढ़ने-जानने-समझने-बूझने का आकर्षण है।

– मनोहर चमोली ‘मनु’

Pages

37

Author

Usha Chhabra

ISBN

978-81-19231-74-4

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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