वा भई वा! राजेन्द्र वर्मा की व्यंग्य कविताओं का संग्रह है। कवि कहते हैं- “युगबोध और प्रबोधन के अतिरिक्त कविता का एक और गुण होता है— मनोरंजन। जिस कविता में मनोरंजन का तत्त्व अधिक होता है, उसकी ग्राह्यता और लोकप्रियता सर्वविदित है। मंचों के कवि कविता के इसी गुण का व्यापार कर रहे हैं। ‘हास्य कवि-सम्मेलन’ की शुरुआत इसका प्रमाण है। यह कुछ सीमा तक ठीक ही है। ऐसी कविताओं से श्रोता को यदि तनाव से थोड़ी मुक्ति मिलती है, तो क्या हर्ज़ है ! मुझे छन्दोबद्ध कविता प्रिय है, इसलिए पुस्तक में मेरी ऐसी ही व्यंग्यधर्मी कविताएँ संगृहीत हैं। इनमें कहीं-कहीं हास्य भी है।”
Author | Rajendra Verma |
---|---|
Format | Paperback |
ISBN | 978-81-19590-82-7 |
Language | Hindi |
Pages | 120 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Reviews
There are no reviews yet.