वो जो था ख़्वाब-सा (Vo Jo Tha Khwaab-Sa / Prachi Priyanka)

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आपकी कविताएँ पढ़ीं। बधाई लीजिए। आपने दैनंदिन जीवन के अनेक अनुभव अकृत्रिम भाषा में व्यक्त किए हैं। यहाँ विशेषकर दाम्पत्य संबंध और स्त्री-पुरुष संबंध की कविताएँ ध्यान में आती हैं। दिवंगत पत्नी के प्रति मार्मिक कविता है। समकालीन हिन्दी कविता के प्रचलित मुहावरों से ये कविताएँ लगभग अछूती हैं। भाषा भी भिन्न है।
आपकी कविताएँ सह्रदय पाठकों द्वारा स्वीकार की जाएँ, यही कामना है। — अरुण कमल

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Shwetwarna Prakashan

ISBN

978-93-92617-40-9

Pages

96

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