संवेदना रचनाकार का वह गुण है जो घनीभूत होकर रचनाकार की रचनात्मकता को अनुप्रणित करता है। यही रचनात्मकता जब काग़ज़ पर अवतरित होती है तो कविता, गीत या ग़ज़ल कहलाती है। प्रस्तुत आलेख में शास्त्रीय विवेचना करना मेरा लक्ष्य नहीं है अपितु शाइर घनश्याम की ग़ज़लों को केंद्र में रख कर कुछ बात-चीत करना ही मेरा उद्देश्य है।
घनश्याम जी ज़मीन से जुड़े हुए ऐसे शाइर हैं जो केवल कल्पनालोक में ही विचरण नहीं करते अपितु ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाइयों से दो-चार होते हुए भी दिखायी देते हैं। उनका कहन ही उनका वैशिष्ट्य है।
घनश्याम जी की शाइरी से गुज़रते हुए हमें महसूस होता है कि उनकी ये ग़ज़लें उनके अपने जीवन-संघर्ष को बयाँ’ करती है।
– विज्ञान व्रत
Author | Kaljayi Ghanshyam |
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Format | Hardcover |
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