‘तुम शपथ पत्र की स्याही हो’ काव्य की विभिन्न विधाओं से सुसज्जित प्रस्तुत द्वारिका प्रसाद रस्तोगी की यह प्रथम कृति है जिसमें उन्होंने विभिन्न रसों को निरूपित करते हुए तमाम विषयों पर अपनी लेखनी को गति दी है।
‘Tum Shapath Patra Ki Syahi Ho’ kavya ki vibhinn vidhaaon se susajjit prastut dvaarika prasaad rastogi ki yah pratham kRiti hai jisamen unhonne vibhinn rason ko niroopit karate hue tamaam viSayon par apani lekhani ko gati di hai.
Author | डॉ. द्वारिका प्रसाद रस्तोगी |
---|---|
Format | Hardcover |
ISBN | 978-93-92617-15-7 |
Language | Hindi |
Pages | 124 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Reviews
There are no reviews yet.