तुहिना (Tuhina / Richa Singh Rathore)

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कविता मेरे लिए आज भी एक ऐसा शब्द है जिसे स्वयं मेरे लिए परिभाषित कर पाना दुष्कर है। इसके पीछे का एक बहुत बड़ा कारण ये कहा जा सकता है कि मैंने कभी भी कविता को लिखने का प्रयास नहीं किया। कब दिल-दिमाग़ में विचारों का प्रस्फुटन हुआ और कब वह कविता के रूप में निर्मित हुए स्वयं मैं भी न समझ सकी। मेरा मानना है कि मेरे लिए कविता में भाव का विचारों का प्रवाह उसी तरह से है जैसे एक नदी में होता है। स्व-स्फूर्त कोई प्रयास नहीं, कोई बंधन नहीं, किसी का आदेश नहीं, किसी से अनुमति नहीं। इसी कारण से मेरी लगभग सभी कविताएँ रस छंद अलंकार आदि के बंधनों में मुक्त होकर एक लयात्मकता के साथ भाव-बोध का एहसास कराती हैं।

Author

ऋचा सिंह राठौर

Format

Paperback

ISBN

978-93-95432-37-5

Language

Hindi

Pages

88

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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