प्रतिभा सक्सेना लोक-मनोविज्ञान को समझने वाली एक बेहतरीन कथाकार हैं। प्रतिभा जी कहानियाँ के अंतर्निहित गूढ़ परतों को इतनी सरलता से खोल देती हैं कि पाठक बस उसमें रम जाता है। उन्होंने तुलसी और रत्नावली की कहानी को अपने इस उपन्यास ‘रतन समुझि जिन विलग मोहि’ में संवेदनाओं और दृष्टि के कई नए आयाम प्रदान किये हैं, जो हमें चिंतन को विवश करते हैं।
Author | Pratibha Saksena |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-19590-52-0 |
Language | Hindi |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Pages | 120 |
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