रघुविन्द्र के दोहे भाषा के स्तर पर सरल, सहज और भरपूर संप्रेषणीयता से लैस हैं। वे रस, छंद, अलंकार के पीछे बिलकुल नहीं भागते। उनका विश्वास साफ़गोई में है और कहा जा सकता है कि यही साफ़गोई इन दोहों का वैशिष्ट्य है। यही कारण है कि संग्रह के अधिकतर दोहे बिना किसी लाग-लपेट के अपने सम्पूर्ण अर्थ-गांभीर्य के साथ पाठक के दिल पर सीधी चोट करते हैं। लयात्मकता, भावात्मकता और मारक क्षमता (किलिंग इंटेक्ट), तीनों मिलकर इन दोहों में से अनेक दोहों को सफ़र में साथ लेकर चलने लायक़ बनाते हैं।
मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि मैं रघुविन्द्र यादव के दोहा संसार में विचरण करते हुए लगभग दो हज़ार दोहों में से कुछ दोहों का चयन करके आप सब सुधी पाठकों के सामने रख सका।
– जय चक्रवर्ती
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