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प्रतिरोध के दोहे (Pratirodh Ke Dohe / Edi. Raghuvindra Yadav, Shailesh Gupt ‘Veer’)

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‘प्रतिरोध के दोहे’ संकलन का उद्देश्य मौज़ूदा दौर के रचनाकारों की देश और समाज के मुद्दों के प्रति क्या प्रतिबद्धता है, उसे पाठकों तक पहुँचाना है। प्रतिरोध का आशय बेवज़ह सत्ता या उसमें बैठे लोगों का विरोध करना नहीं है, बल्कि उन्हें उनकी ज़िम्मेदारी, उनका दायित्व याद दिलवाना है। लोकतन्त्र में यह अति आवश्यक हो जाता है। हमारे देश में तो राजशाही के ज़माने में भी कवि इस दायित्वबोध को निभाते रहे हैं।
प्रतिरोध से हमारा आशय समाज, राजनीति, धर्म, संस्कृति आदि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त विद्रूपताओं पर प्रहार करना है। जहाँ कहीं भी जड़ता है, उस जड़ता का निषेध ही प्रतिरोध है। यह प्रतिरोध मात्र विरोध लिए प्रतिरोध नहीं है, बल्कि प्रतिरोध का यह स्वर आम आदमी की पीड़ा से एकाकार होकर समाज एवं राष्ट्र को उन्नत स्थिति में ले जाने हेतु है। साहित्य में प्रतिरोध की चेतना बेहतर राष्ट्र, बेहतर समाज तथा बेहतर जीवन आदि के निर्माण हेतु संकल्प है। यह संकल्प हमें बाधाओं से लड़ने का साहस प्रदान करता है तो अशुभ का क्षरण कर शुभ के सन्निकट ले जाने का पथ प्रशस्त करता है।

Author

Edi. Raghuvindra Yadav, Shailesh Gupt 'Veer'

Format

Paperback

ISBN

978-81-972908-6-2

Language

Hindi

Pages

152

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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