‘परछाइयों के निशान’ संग्रह की कविताएँ जीवन के विभिन्न संघर्षों के बीच खड़ी स्त्री मन की कविताएँ हैं। जिसमें संघर्षों, समस्याओं और संकल्पों को केन्द्रीय अंतर्वस्तु के रूप में देखा जा सकता है। जनपक्षधरता और सामाजिक मूल्यों से गुजरती इन कविताओं में निरंतर गतिशीलता है जो रचना यात्रा के विभिन्न पड़ावों से होते हुए वसंत की ओर अभिमुख है।
स्त्री मन की पीड़ा और प्रेम के उतार-चढ़ाव के बीच सहज मुक्त स्वभाव की इन कविताओं के अनेक रूप और रंग हैं जो स्मृतियों में आकंठ डूबकर रची गयी हैं। इनमें जीवन स्तुतियों को चित्रित करते हुए विरोधाभासों और द्वन्दों को भी अंकित किया गया है।
-शारदा सुमन
उपनिदेशक, कविता कोश
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