नवगीत की ताज़ी आहटें (Navgeet Ki Tazi Aahtein / Edi. Krishna Bhartiya )

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युवा नवगीतकारों की एक समृद्ध पीढ़ी नयी ऊर्जा, सार्थक सृजन और सामाजिक चेतना जगाने के लिए दस्तक दे रही है। ये नवगीत परिवेश की ताज़ी आहटें हैं जिनकी पदचाप में लयात्मक मोहक धुन है, एक रिदम है, एक तेवर है और वैचारिकी और आत्मविश्वास की ठसक है, चाल में गरिमा है, नयी सोच है, आधुनिक कथ्यों का समावेश है, बात कहने का नया स्वर है, जुझारू तेवर है, नये प्रतीक, नये बिम्बों का ख़ज़ाना है, नया दृष्टिकोण है, प्रश्नों को समझने, उठाने का पैना शिल्प है, अच्छा कर गुज़रने का माद्दा है। कह सकते हैं युवा नवगीतकार नयी सम्भावनाओं के मुखर दस्तावेज़ के साथ साहित्यिक परिवेश में उभर रहे हैं। कुछ नीतिगत कमियाँ भी हैं, कुछ कमज़ोरियाँ भी, जो समयानुसार गहन अध्ययन और पठन-पाठन से समृद्ध होंगी। युवा नवगीतकारों का नवगीत पर उनका दृष्टिकोण भी साझा किया है कि वे अपने नज़रिये से नवगीत को कैसे परिभाषित करते हैं। उनका दृष्टिकोण ज्यों का त्यों प्रस्तुत है। वरिष्ठ विद्वान समीक्षकों ने इन कमज़ोरियों को इंगित भी किया है और सुझाव भी दर्शाये हैं। कहीं पर बिम्ब, प्रतीकों के प्रयोगवादी दोषों को सही दिशा की सलाह भी दी है तो कहीं प्रयोगवादी शाश्वत इशारे हैं। मात्रा दोष प्रमुख रहा। मूलतत्त्व रहा कि विद्वान समीक्षकों ने बेबाक़ लेकिन सच्चे अर्थों में अपनी बात की।

Author

सम्पादक : कृष्ण भारतीय

Format

Paperback

ISBN

978-81-19231-58-4

Language

Hindi

Pages

300

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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