‘नटखेला उर्फ बन्ना गोसाईं’ की यह कथा समय की चुनौतियों को स्वीकार ही नहीं करती, डटकर उसका सामना भी करती है। मुख्य कथाओं के साथ-साथ छोटी-छोटी कई अन्तर्कथाएँ कभी अपको झकझोरेंगी, कभी गुदगुदाएंगी और कभी सोचने पर बाध्य भी कर देंगी।
Author | Mahendra Madhukar |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-974259-1-2 |
Language | Hindi |
Pages | 224 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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