नाचे आम आदमी (Nache Aam Aadami / Rajesh Jain Rahi)

249.00

Buy Now

प्रदेश के नामी रचनाकार राजेश जैन ‘राही’ बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों ने उन्हें कभी दोहे, कभी मधुर गीत-ग़ज़ल तो कभी हास्य व्यंग्य लिखने के लिए प्रेरित किया है।
81 व्यंग्यों से सुसज्जित उनका व्यंग्य संग्रह ‘नाचे आम आदमी’ (‘राही’ की फुलझड़ियाँ) आपके कर कमलों में है। ‘फुलझड़ियाँ’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘हँसी मज़ाक की बात करना’। राजेश जैन ‘राही’ ने अपने मनोभावों को हँसी मज़ाक के अंदाज़ में बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ गद्यात्मक एवं पद्यात्मक शैली में पिरोया है। उनके लगभग सभी व्यंग्य भाषा की सरलता, विचारगर्भिता एवं स्पष्टवादिता के कारण प्रभावित करते हैं। ‘राही’ ने अपनी फुलझड़ियों में सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक एवं पारिवारिक विसंगतियों पर चुटिले अंदाज़ में व्यंग्य कसा है। व्यंग्य सामाजिक पीड़ा एवं समस्याओं पर केन्द्रित होता है। व्यंग्य का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना या उपहास उड़ाना कतई नहीं होता। प्रस्तुत संग्रह में राही जी ने इस बात का भी ध्यान रखा है।

Pages

160

Author

Rajesh Jain 'Rahi'

ISBN

978-81-19590-65-0

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Shwetwarna Prakashan

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “नाचे आम आदमी (Nache Aam Aadami / Rajesh Jain Rahi)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart
Scroll to Top