महिला ग़ज़लकारों में रूबी भूषण अपना एक विशिष्ट स्थान रखती हैं। अपनी ग़ज़ल के शेरों में अपने और समय के जज़्बात को जिस हुनर से पिरोती हैं यह हुनर कम लोगें के पास है। इनकी ऐसी कितनी ग़ज़लें हैं जो लोगों की ज़ुबान पर हैं। इनकी ग़ज़लों की अदायगी आज के विद्रूप हालात की तहें खोलती हैं, जिसमें हम अपना चेहरा साफ़-साफ़ देख सकते हैं। जहाँ तक इस संग्रह में कथ्य, समकालीनता, सम्प्रेषणीयता और ग़ज़लों का रख-रखाव है आकर्षित करते हैं।
Author | रूबी भूषण |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-81-976575-2-8 |
Language | Hindi |
Pages | 104 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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