राजेश जैन ‘राही’ एक ऐसे ही बहुमुखी प्रतिभा संपन्न रचनाकार हैं जो दोहे जितनी कुशलता से कहते हैं उतनी ही कुशलता से गीत भी लिखते हैं। अब ग़ज़ल भी वे उतनी ही गंभीरता से कहने का प्रयत्न कर रहे हैं। बहर और मात्राओं तथा ग़ज़ल के व्याकरण के प्रति वे अत्यंत गंभीर हैं, यह उनके प्रस्तुत ग़ज़ल संग्रह को पढ़ कर समझा जा सकता है।
Author | राजेश जैन ‘राही’ |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-93-95432-70-2 |
Language | Hindi |
Pages | 144 |
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