मन-मृदंग (Man-Mridang / Karuna Singh ‘Kalpana’)

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इस काव्य संग्रह ‘मन मृदंग’ में आपकी भिन्न-भिन्न विषयों पर केंद्रित रचनाओं को देखा जा सकता है। लयात्मक और छंदमुक्त समकालीन रचनाओं के बहुरंगी गुलदस्ते के रूप में यह काव्य संग्रह पाठकों को प्रभावित करेगा, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। शृंगार, देशभक्ति, प्रेम, प्रकृति, सद्भावना जैसे विषयों पर लेखनी के चलने का आशय ही आदर्श और सकारात्मक सोच कही जा सकती है। संग्रह की रचनाओं में कहीं-कहीं सूफियाना अंदाज भी परिलक्षित हुआ है। करुणा जी का प्रकृति से इतना गहरा लगाव है कि इनका लेखन सदैव प्रकृति के इर्द-गिर्द ही घूमता नजर आता है। प्राकृतिक दृश्यों, प्रकृति की प्रवृत्ति, धरती, पहाड़, जल, आकाश, पेड़, पवन, पशु-पक्षी, ऋतुओं आदि के बिंबों-उपमाओं को लेकर किया गया इनका सृजन निश्चित रूप से मानवता को स्पर्श करता है। प्रकृति को माध्यम बनाकर लिखी गई रचनाओं में शृंगार, प्रेम, प्रतीक्षा, विरह, समर्पण, आशा, विश्वास एवं भविष्य के सपने भी दिखाई देते हैं।

Author

Karuna Singh Kalpana

ISBN

978-93-90135-91-2

Format

Paperback

Language

Hindi

Pages

128

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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