लोहित जितना अद्भुत पात्र है उसकी कहानी भी उतनी ही अनोखी है। नियति की इच्छा से कुछ अनोखे संयोग लिए जन्मे बालक की यह कहानी पाठक को कभी परालौकिकता के समीप ले जाती है तो वहीं अंत आते-आते यह आध्यात्मिकता के शिखर को भी छूने लगती है। इसमें संवेदनाओं का गुबार है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं का उभार भी।
-दीपक दुआ, फिल्म समीक्षक
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