भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस दिव्य क्रान्ति का प्रभाव साहित्य पर खूब पड़ा था, जिससे जनता ने स्वतन्त्रता प्राप्ति को अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया था। तत्समय सम्पूर्ण देश का साहित्य स्वाधीनता की भावनाओं से ओत-प्रोत रहा। पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक, चतुर्दिक साहित्य में स्वतन्त्रता प्राप्ति की अनुगूँज को स्पष्टतः अनुभव किया जा सकता था।
समग्रतः कहा जा सकता है कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का वातावरण बनाने में क्रान्तिकारियों, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के साथ-साथ लेखकों, कवियों एवं लोकगीतकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन कलमकारों ने अपने लेखन के माध्यम से, विचारों से और अपने उद्बोधन के माध्यम से अंग्रेजों को ही नहीं पछाड़ा, बल्कि भारतीय समाज को भी एकजुट किया है। प्रस्तुत पुस्तक द्वारा स्तंवत्रता संग्राम में विभिन्न प्रान्तों की साहित्यिक भूमिका बताने की कोशिश है।
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